Wednesday, September 29, 2010

सड़क पे हिंदुस्तान पड़ा है

साथी मत सो जाना अब तुम
सड़क पे हिंदुस्तान पड़ा है

सीने में है रोष तुम्हारे
सामने भ्रष्टाचार खड़ा है।
करो वार- पे वार योद्धा
दुश्मन लौह के भांति जड़ा है
आत्मबल है हथियार तुम्हारा
जो तुम्हारे पास पड़ा है
साथी मत सो जाना अब तुम
सड़क पे हिंदुस्तान पड़ा है।

उठ मनई..मत हार मन को
किसने तुम्हे अभिशाप दिया है
किसने तुम्हारा पथ है रोका
किसने तुम्हे ये पाप दिया???
लो प्रतिकार चुकाओ हिसाब
जिसने तुमको लूटा है...
खोलो आंखे जागो अब तुम
वो दुष्ट तुम्हारे पास खड़ा है
साथी मत सो जाना अब तुम
सड़क पे हिंदुस्तान पड़ा है

राजनीत जहां बन गई वेश्या
मंत्री जहां दलाल बने हैं
जिसने की है लूट- खसोट
वे गुदड़ी के लाल बने हैं
पोछ डाल सपनों की ओस को
और जीत उस रण को अब तुम
जिसको तू कई बार लड़ा है
साथी मत सो जाना अब तुम
सड़क पे हिंदुस्तान पड़ा है

6 comments:

आदर्श राठौर said...

जय हो तिवारी जी
जुग-जुग जिएं आप

गजेन्द्र सिंह said...

बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने .......

पढ़िए और मुस्कुराइए :-
कहानी मुल्ला नसीरुद्दीन की ...87

abhishek said...

veer ras se paripoorn acchi kavita hai ye.
bahut bahut badhai

abhishek said...

veer ras se paripoorn acchi kavita hai ye.
bahut bahut badhai

Suyash Deep Rai said...

बहुत उत्तम अमृत भाई ! युवा मन को जगाने का प्रयास ऐसे ही जारी रहे ! आन्दोलन सफल होगा ! इंकलाब जिंदाबाद !

Praveen kumar said...

Wow !! I can say this only .
Great thoughts in simple words and inspiring too.