Monday, January 11, 2010

तमन्ना...



दिल में ढेरों अरमां हैं
मीठे से, सहमें से...
नये साल में सोचता हूं बांट दूं सभी के सभी ---
जब घना कोहरा हो..तो धूप बन बिखर जाऊं
ताप से तड़फड़ाती धरती पर बूंद बन बिखर जाऊं
और...
जिंदगी जब सर्द हो जाए,
विचारों के अंकुर पर बर्फ जम जाए
तो अपने ऐहसासों की गर्माहट दू, ताकि
बर्फ पिघल जाए...विचार वृक्ष बन जाए।।

6 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा भाव!!

Razi Shahab said...

nice

Anonymous said...

छ)

Sonalika said...

kya baat hai
kavita bhi likhate ho
wah bhi etni shandar
badhai is sunder rachana ke liye

Sonalika said...

amrit tumhari pichali kavitayen bhi padhi
dost tum to bahut shandar likhate ho.
yu hi likhate raho.

अमृत कुमार तिवारी said...

धन्यवाद सोनालिका जी...आपकी हौसला आफजाई ज़रूर ही मेरे मनोबल को बढ़ाएगी।...