आत्म परिवर्तन से विश्व परिवर्तन की ओर...
नौकरी की तलाश में घर से बेघर हुए लोगों का भी यही दर्द शाख से टूटे पत्ते के समान ही है।..सुंदर अभिव्यक्ति .
पत्ते को आसरा देने के लिए शुक्रिय़ा...कई ऐसे पत्ते बिखरे पड़े हैं..किसी को नाम चाहिय़े तो किसी को पैसा... बस सही जगह की तलाश है.
अच्छा किया...एक दर्द समेट लिया है इसमें.
मार्मिक प्रस्तुति सुंदर रचना के लिए शुभकामनायें।
वो पत्ता जो डाली से टूट चुका है,कल मेरी ढ्योढ़ी पर आ गया थाउड़ता-फिरता, गिरता-पड़ता।।Ham sab apnee, apnee daalee se kabhi na kabhi alag ho hee jate hain..
अच्छा किया आपने। जाने फिर वो कहाँ उड जाता। अच्छी रचना मित्र।
सुंदर अभिव्यक्ति,लिखते रहे।
" very beautiful and nice expressions"regards
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8 comments:
नौकरी की तलाश में घर से बेघर हुए लोगों का भी यही दर्द शाख से टूटे पत्ते के समान ही है।
..सुंदर अभिव्यक्ति .
पत्ते को आसरा देने के लिए शुक्रिय़ा...कई ऐसे पत्ते बिखरे पड़े हैं..किसी को नाम चाहिय़े तो किसी को पैसा... बस सही जगह की तलाश है.
अच्छा किया...एक दर्द समेट लिया है इसमें.
मार्मिक प्रस्तुति सुंदर रचना के लिए शुभकामनायें।
वो पत्ता जो डाली से टूट चुका है,
कल मेरी ढ्योढ़ी पर आ गया था
उड़ता-फिरता, गिरता-पड़ता।।
Ham sab apnee, apnee daalee se kabhi na kabhi alag ho hee jate hain..
अच्छा किया आपने। जाने फिर वो कहाँ उड जाता। अच्छी रचना मित्र।
सुंदर अभिव्यक्ति,लिखते रहे।
" very beautiful and nice expressions"
regards
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