घटना-1
कल्पना- मुझे यहीं रोक दो..मैं उतर कर चली जाउंगी।
कैब का ड्राइवर: क्या.. आप यहीं उतरेंगी ?
कल्पना: क्या करूं, बाकी लोग भी तो आपकी कैब में हैं, उन्हें भी तो देरी हो रही होगी..
अरे, रात का
समय हैं..और उपर से इतना भंयकर घना कोहरा..कोई उठा कर ले गया तो..। बचाने भी कोई नही आएगा...
हां भाई ड्राइवर इन्हें इनके घर तक ले चलों..वरना कुछ हो गया तो इसके गुनहगार हम लोग ही होंगे।- कैब में सवार लोगों ने बोलना शुरू किया
घटना-2.
कैब छूट गई है नर्गिस ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से बहस कर रही है..
नर्गिस-मेरे आने में सिर्फ दो मिनट की देरी हुई और आपने कैब जाने दिया...
मैडम, हम क्या करें. हमने तो रुकने को कहा था लेकिन कोई स्टाफ अंदर से आया और बताया कि नर्गिस मैडम कब की निकल चुकी हैं
और बड़ी देर से हम आपका फोन भी ट्राई कर रहे थे। कुछ रिस्पांस ही नही मिल रहा था। लगा कि शायद आप किसी के साथ निकल चुकीं होंगी।
नर्गिस- भईया मेरा फोन खो गया था, उसी को खोजने के लिए मारे-मारे फिर रही थी..अब आप ही बताइए अकेली लड़की इतनी आधी रात को कैसे जाएगी। अब तो आपकी ही ज़िम्मेदारी है कैसे भी मुझे मेरे घर तक छोड़ दो। मैं कुछ नही जानती।
उपर की दोनो घटनाओं को मित्रों से बताने पर:
तू भी यार, क्या चुतियापे वाली बातों पर गौर करता है, सुना नही है क्या... अकेली लड़की खुली हुई तिजोरी के समान होती है...
फिर जोरदारा ठहाके- हा...हा..हा..ही...ही..ही आ..ह.खी..खी..खिक्..ऊ....ऊ...एह..हा ..अरे यार..खु..खुली हुई तिजोरी....हांहाहाआआ..हा.. हा...................................
1 comment:
बहुत अच्छा लिखा है आपने..अच्छा लगा पढ़ कर...
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