Thursday, March 13, 2008

पिछले साल ग्रोथ रेट आठ प्रतिशत रहा था
इस बार के बजट मे भी स्तिथि बरक़रार रही है।
चिताम्बरम साहब के झोले से जादुई जिन्न निकला,
और दे दिया घोंस्डाओ की झड़ी।

बस यही सवाल कर बैठा हूँ, सड़क पे
चलते आदमी से, किसान मजदूरों से
लाफंगई करते नौजवानों से।
जवाब था, दो टुक
कि,
दोस्त मुझे विकास का मतलब नही मालुम
कैपिटल इनवेस्टमेंट,मार्केट रेवेंनुए
ये सब बातें मेरे पल्ले नही पड़तीं।
डिस्को की ताता - थैया, फिल्मी सितारे
मुझे तो कोई इन्द्रलोक के वासी लगते है

आस्मान के उपर उड़ता विमान
आज भी मुझे चील- कौआ सा लगता है।

हां आपके विकास ने ये
मोबाइल फोन थमा दिया है
जिस पेर आते हैं, ढेरों फोन कॉल,

''सर मै फलां कंपनी से बोल रही हूँ,
नया conection सिर्फ़ ............ ...............
बैंकों से फोन आते हैं, लोन के लिए
इन सब की दरकार मुझे कहाँ,

कम से कम मेरा मजाक तो मत उड़ाओ ।
अब तो मुँह मोड़ लेता हूँ , क्योकि
मैं भी बदतामिज लोगो के मुँह नही लगता।

हाँ दोस्त मुझे विकास समझ मी नही आता
मुझे तो सिर्फ़ एक उपाय चाहिए,
जिससे, मैं दोनों वक्तअपने पेट भर सकूं ,
एक छत बना सकूं।
बारीश की चंचल बूंदे, मेरी नींद ख़राब न कर सके।
ठंढी का कोहरा कपकपी न दे सके ।
गर्मी की लू, दीवारों से टकराकर बाहर ही रह जाए।
इसके बाद भी अगर कुछ बचे करने के लिए
तो एक अच्छी शिक्षा- व्यवस्था दे देना । । । । ...............

-अमृत




11 comments:

Aadarsh Rathore said...

मित्र निस्संदेह वास्तविकता को बयां किया है आपने.
लेखनी को इसी प्रकार निरंतर जन हित एवं राष्ट्र विकास के लिए चलाते रहिये.
शुभकामनाएं.

संदीप said...

अमृत,

कविता अच्‍छी है, बस भाषा को तराशने की ज़रूरत महसूस हो रही है,

लिखना जारी रखिएगा...
भाषा को तराशने और विचारों शब्‍दों में ढालने का सबसे अच्‍छा तरीका भी है यह।

प्रदीप मानोरिया said...

लाज़बाब रचना आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है . निरंतरता की चाहत है . मेरे ब्लॉग पर पधारें मेरा आमंत्रण स्वीकारें

प्रदीप मानोरिया said...

आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है . निरंतरता की चाहत है . मेरे ब्लॉग पर पधारें मेरा आमंत्रण स्वीकारें

Prakash Badal said...

स्वागत है चिट्ठाजगत में। यूं ही लिखते रहें,

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bilkul sachchi bat hai vats
narayan narayan

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत सुंदर भाव को अिभव्यक्त िकया है ।

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत सुंदर भाव को अिभव्यक्त िकया है ।

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत सुंदर भाव को अिभव्यक्त िकया है ।

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत सुंदर भाव को अिभव्यक्त िकया है ।

Unknown said...

संदीप जी बहुत बहुत शुक्रिया...चलिये विचार बलवती रहेगी तो ज़रूर ही भाषा बलवती हो जाएगी